सोमवार, 1 मार्च 2010

यदुवंशी थोडा मंथन करें...!!

अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के नव निर्वाचित अध्यक्ष प्रो।उदय प्रताप सिंह यादव ने कहा है कि आरक्षण की लड़ाई में यादव महासभा, समाज के सभी पिछड़ों को साथ लेकर चलेगी। यह संघर्ष तभी थमेगा जब यादवों की ताकत के अनुपात में उन्हें सत्ता में भागीदारी मिलेगी। वे मेला ग्राउंड के मृगनयनी गार्डन में आयोजित यादव महासभा के 57वें राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नए दायित्व को संभालते हुए वे यादव समाज के कमजोर छात्र-छात्राओं को आर्थिक सहायता देने की जरूरत को पूरा करने का हर संभव प्रयास करेंगे।

प्रो. यादव ने कहा कि यादव समाज ने लंबे समय तक आर्थिक व सामाजिक शोषण झेला है यदि हम समय रहते जागरूक नहीं हुए तो अधिकारों से वंचित रह जाएंगे। हमें ‘माधव’ के रास्ते पर चलकर संघर्ष की सीख लेना चाहिए। उन्होंने अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि यादव महासभा आरक्षण की लड़ाई में सारे पिछड़ों को सथ लेकर चलेगी अन्यथा राजनीतिक हमारे उद्देश्य को सफल नहीं होने देंगे।यादव महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो0 यादव ने संगठन की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि उपनामों की भिन्नता के बावजूद आज यादव समाज एक परिवार के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। रोटी-बेटी का संबंध भी होने लगा है। यादव महासभा के कार्यक्रम में शिक्षा के विकास,सेना में अहीर रेजीमेंट की स्थापना तथा बालिकाओं को शिक्षित करने के बिन्दुओं को शामिल किया जाएगा।
अधिवेशन में यादव महासभा के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ0 हरिमोहन सिंह यादव ने कहा कि आज देश के 22 प्रांतों में यादव महासभा का संगठन सक्रिय होकर काम कर रहा है। संगठनात्मक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए वैशाली गाजियाबाद में अभा यादव महासभा का केन्द्रीय कार्यालय बनाया गया है। अब जरूरत है कि समाज के लोग सकल रूप से संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करें।

सभी राज्यों में यादव सीएम हों : गौरमप्र सरकार के वाणिज्यिक कर मंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि यादव समाज को इतना संगठित किया जाए कि भविष्य में सभी राज्यों में यादव समाज के मुख्यमंत्री नजर आएं। उन्होंने यादव समाज से करवट बदलने का आह्वान करते हुए कहा कि वे देश में धर्मराज्य की स्थापना करें। उन्होंने कहा कि यादव समाज की जितनी संख्या है सत्ता में उन्हें उतनी भागीदारी मिलना चाहिए।
‘सावधान व एकजुट रहने की जरूरत’ : कानपुर के सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि यादव समाज ने जब-जब अपने विकास का मार्ग प्रशस्त किया तब-तब उसे सत्ता से दूर रखने की साजिश हुई है। उत्तर प्रदेश में कन्या विद्याधन योजना को मायावती सरकार ने बंद कर दिया है।हजारों लोगों को नौकरी से निकाल दिया क्योंकि उनमें अधिकांश, पिछड़े वर्ग से जुड़े हैं। प्रो. यादव ने कहा कि आने वाले समय में ऐसे हमले और तेज होंगे इनसे सावधान व एकजुट रहने की जरूरत है तभी हम यादव समाज को विभाजित होने से रोकने में कामयाब होंगे।
शिक्षा के विकास की जरूरत : गिरधारी यादवबिहार के सांसद गिरधारी यादव ने कहा कि शिक्षा के विकास की जरूरत है। कुल आबादी का 18 फीसदी हिस्सा होने के बाद भी यादवों का शैक्षणिक विकास नहीं हो पाया है। सांसद श्री यादव ने कहा कि रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव एक सफल राजनीतिज्ञ हैं फिर भी बिहार की मौजूदा सरकार उन्हें फेल मुख्यमंत्री कहकर माहौल को खराब कर रही है। उनकी काबलियत का प्रदर्शन, मुनाफे में आया रेल विभाग है।
‘विकास के लिए नए विचार अपनाने पड़ेंगे’ : राष्ट्रीय अधिवेशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि यादव समाज के विकास के लिए नए विचार अपनाने की जरूरत है। अभी तक हम छोटे -छोटे दायरों में बटे थे, शिक्षा की कमी तथा कुरीतियों के कारण विकास से वंचित रहे। महासभा ने यादवीकरण की जो प्रक्रिया शुरू की है उससे समाज को नई पहचान मिली है।
( यह यादव महासभा के 2007 में हुए अधिवेशन की रिपोर्ट की एक कवरेज है, पर इसमें व्यक्त बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. जरुरत है की हम सिर्फ बातों तक सीमित न रहें बल्कि उन्हें फलीभूत भी करें. जितनी बातें इस अधिवेशन में कही गई हैं, उनके लिए ठोस योजना भी प्रस्तुत होनी चाहिए. यादव समाज के विकास के लिए नए विचार अपनाने की जरूरत है, पर ये विचार कहाँ से आयेंगें इस पर भी सोचने की जरुरत है. इस पोस्ट का उद्देश्य मात्र यादव बंधुओं को मंथन के लिए प्रेरित करना है......आप सोचें और नए विचारों के साथ आगे आयें, जिन्हें फलीभूत किया जा सके)

8 टिप्‍पणियां:

Akanksha Yadav ने कहा…

वाकई मंथन करने की जरुरत है.

Shyama ने कहा…

सटीक विश्लेषण.

बेनामी ने कहा…

दुर्भाग्य से यादव महासभा में काम कम बातें ज्यादा होती हैं.

Unknown ने कहा…

यादवों के साथ पिछड़ों को भी लें तो बात बन सकती है.

मन-मयूर ने कहा…

Manthan ke bina dahi kaise niklegi.

syadav ने कहा…

manthan agar karna hai to mulayum aur laalo karein akhir kya karan hai ki ye dono neta apni biradari ko apne saath lekar nahin chal paye samajbad ke purodha rahe ye dono neta apne parivar aur rishtedaron tak seemit hokar reh gaye bihar mein laloo ki haar aur up mein mulayum ka gira hua janadhar isi ki pariniti hai

syadav ने कहा…

manthan agar karna hai to mulayum aur laalo karein akhir kya karan hai ki ye dono neta apni biradari ko apne saath lekar nahin chal paye samajbad ke purodha rahe ye dono neta apne parivar aur rishtedaron tak seemit hokar reh gaye bihar mein laloo ki haar aur up mein mulayum ka gira hua janadhar isi ki pariniti hai

Ajayadav ने कहा…

Hii muje blog lekna hai ap mere halp karoge