बुधवार, 24 मार्च 2010

यदुवंश में अवतार लिया माँ विंध्यवासिनी ने

श्री श्री विन्ध्यनिवासिनी आद्या महाशक्ति हैं।विन्ध्याचल सदा से उनका निवास-स्थान रहा है। जगदम्बा की नित्य उपस्थिति ने विंध्यगिरिको जाग्रत शक्तिपीठ बना दिया है। प्रयाग एवं काशी के मध्य विंध्याचल नामक तीर्थ है जहां माँ विंध्यवासिनी निवास करती हैं। श्री गंगा जी के तट पर स्थित यह महातीर्थ शास्त्रों के द्वारा सभी शक्तिपीठों में प्रधान घोषित किया गया है। यह महातीर्थ भारत के उन 51 शक्तिपीठों में प्रथम और अंतिम शक्तिपीठ है जो गंगातट पर स्थित है।
श्रीमद्भागवत महापुराणके श्रीकृष्ण-जन्माख्यान में यह वर्णित है कि देवकी के आठवें गर्भ से आविर्भूत श्रीकृष्ण को वसुदेवजीने कंस के भय से रातोंरात यमुनाजीके पार गोकुल में नन्दजीके घर पहुँचा दिया तथा वहाँ यशोदा के गर्भ से पुत्री के रूप में जन्मीं भगवान की शक्ति योगमाया को चुपचाप वे मथुरा ले आए। आठवीं संतान के जन्म का समाचार सुन कर कंस कारागार में पहुँचा। उसने उस नवजात कन्या को पत्थर पर जैसे ही पटक कर मारना चाहा, वैसे ही वह कन्या कंस के हाथों से छूटकर आकाश में पहुँच गई और उसने अपना दिव्य स्वरूप प्रदर्शित किया। कंस के वध की भविष्यवाणी करके भगवती विन्ध्याचल वापस लौट गई।
मार्कण्डेयपुराणके अन्तर्गत वर्णित श्री दुर्गासप्तशती (देवी-माहात्म्य) के ग्यारहवें अध्याय में देवताओं के अनुरोध पर माँ भगवती ने कहा है-
नन्दागोपग्रिहेजातायशोदागर्भसंभवा,
ततस्तौ नाशयिश्यामि विंध्याचलनिवासिनी।
वैवस्वतमन्वन्तर के अट्ठाइसवेंयुग में शुम्भऔर निशुम्भनाम के दो महादैत्यउत्पन्न होंगे। तब मैं नन्द गोप के घर में उनकी पत्नी यशोदा के गर्भ से अवतीर्ण हो विन्ध्याचल में जाकर रहूँगी और उक्त दोनों असुरों का नाश करूँगी। लक्ष्मीतन्त्र नामक ग्रन्थ में भी देवी का यह उपर्युक्त वचन शब्दश:मिलता है। ब्रज में नन्द गोप के यहाँ उत्पन्न महालक्ष्मीकी अंश-भूता कन्या को नन्दा नाम दिया गया। मूर्तिरहस्य में ऋषि कहते हैं- नन्दा नाम की नन्द के यहाँ उत्पन्न होने वाली देवी की यदि भक्तिपूर्वकस्तुति और पूजा की जाए तो वे तीनों लोकों को उपासक के आधीन कर देती हैं।
विन्ध्यस्थाम विन्ध्यनिलयाम विंध्यपर्वतवासिनीम,
योगिनीम योगजननीम चंदिकाम प्रणमामि अहम् ।
(नवरात्रि का आज नौवाँ दिन है. माँ के दर्शन के लिए सभी लोग लालायित हैं, पर यह गौरव यदुवंश को ही प्राप्त है, जिसमें माँ ने अवतार लिया)

10 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जानकारी देने के लिए आभार!

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

Adbhut jankari..Maan ko Naman.

KK Yadav ने कहा…

पर यह गौरव यदुवंश को ही प्राप्त है, जिसमें माँ ने अवतार लिया..माँ का आशीर्वाद बना रहे.

बेनामी ने कहा…

सारगर्भित जानकारी. मैं तो माँ का भक्त हूँ. यहाँ उनके बारे में पढ़कर अच्छा लगा..प्रणाम.

Akanksha Yadav ने कहा…

माँ का आशीर्वाद हमारे साथ है, यही क्या कम है.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

माँ के चरणों में प्रणाम..अच्छी जानकारी.

Dr PB Singh ने कहा…

aapne jo gyan diya voh achchha hai.

KK Yadav ने कहा…

हम भी माँ के दर्शन हेतु विन्ध्याचल गए थे...माँ की शक्ति का कोई जवाब नहीं.

Bhanwar Singh ने कहा…

माँ की सब कृपा है..अपने अच्छी जानकारी दी.

भँवर सिंह यादव
संपादक- यादव साम्राज्य, कानपुर

suhai-bilasa ने कहा…

bahut achhi jaikari ke liye dhanyavd. dr. somnath yadav bilaspur c.g.