आमतौर से लघु पत्रिकाओं का जीवन बहुत संक्षिप्त होता है किन्तु उनके महत्व का आंकलन इस दृष्टि से नहीं किया जाना चाहिए। महत्वपूर्ण यह है कि लघु जीवन काल में पत्रिका ने कितना गौरव सम्मान अर्जित किया। लखनऊ की साहित्यिक संस्था ‘शब्द पीठ‘ द्वारा मासिक रूप में 1971 से प्रकाशित ‘शब्द‘ पत्रिका के आाकर पर मत जाइये, यह अपने अन्दर व्यापक आयामों को समेटे हुए है। कविता, कहानी, लेख, व्यंग्य, लघु कथाएं जैसी साहित्य की लगभग सभी विधायें उपलब्ध हैं तो पत्रिका में वैचारिक आलेख भी प्रकाशित किये जाते हैं। सारगर्भित रूप में प्रकाशित पुस्तक समीक्षायें इसे पाठकों के और करीब लाती हैं। निश्चिततः पत्रिका जिन उद्देश्यों को लेकर चली थी, उनमें सफल दिखती है।
संपर्क- श्री आर0सी0यादव, सी-1104, इन्दिरा नगर, लखनऊ-226016
झोला छाप चिकित्सक ने ली मासूम की जान, सूई लगाते ही बच्चे की मौत
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*झोला छाप चिकित्सक हुआ मेडिकल दुकान छोड़कर फरार, मुरलीगंज थाना में मामला
दर्ज.*
मधेपुरा जिला के मुरलीगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत जीतापुर पंचायत के चामगढ चौ...
16 घंटे पहले
3 टिप्पणियां:
लघु पत्रिकाएं ही साहित्य की असली संवाहक हैं.
शब्द पत्रिका मैंने पढ़ी है...बेहतरीन है ये पत्रिका.
शब्द पत्रिका मैंने पढ़ी है...बेहतरीन है ये पत्रिका.
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